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तालिबान के सत्ता संभालते ही दुनिया में बढ़ेगा आतंकवाद

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से दुनिया में आईएसआईएस औऱ अलकायदा जैसे आतंकी संगठनो का खतरा बढ़ गया है। दुनियाभर की सरकारें अपने राजदूतों को सुरक्षित वापस बुलाने की रणनीतियां बना रही हैं। अफगानिस्तान में हालात बदलते ही दुनिया के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। तालिबानियों के सत्ता में काबिज़ होने से आतंकवाद और महिला अपराध बढ़ने का खौफ बढ़ गया है।

पाकिस्तान, चीन और तालिबान की जुगलबंदी से भारत और अमेरिका को सतर्क रहना पड़ेगा। विदेशी एक्सपर्ट रहीस सिंह और जेएनयू के प्रोफेसर सुधीर सुथार जो ने इस मामले का विश्लेषण करते हुए बताया कि 1996 से 2001 के दौरान अफगानिस्तान का शासन तालिबानियों ने संभाला था, उस दौरान अलकायदा जैसे आतंकी संगठन ने दुनिया के सामने खौफ उत्पन्न कर दिया था। तालिबान का समर्थन अलकायदा और आईएसआईएस संगठन करते है। कायदा, बोको हराम, अल सहाब, तहरीक-ए-तालिबान, हक्कानी गुट जैसे कई संगठन एकजुट होने के साथ पाकिस्तान के सक्रिय जैश-एमोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा मिलकर दुनिया में खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि तालिबान 1.0 की तुलना में 2.0 प्रजातांत्रिक साबित करने का प्रयास कर रहा है। चीन के साथ 3 देशों ने तालिबान संगठन को समर्थन दे दिया है। 16 अगस्त को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में कई शक्तिशाली देशों को एकजुट होने का सुझाव दिया गया था।

वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2019 से दिसंबर 2020 तक सशस्त्र संघर्ष की वजह से अफगानिस्तान में 1635 बच्चे मारे गए और 4,135 बच्चे अपंग हुए थे। 2021 के शुरुआती 6 महीनों में ये आंकड़ा सबसे ज्यादा है। बता दें कि भारत के सामने बड़ी चुनौती सामने आ रही है, संबधं बनाने में दुश्मन देश के आड़े आ रहे है।

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