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वित्त वर्ष 18 में नौकरी करने वालों की संख्या में इजाफा

चीफ़ इकॉनोमिक एडवाइज़र (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने शुक्रवार को कहा कि, 2011-12 की तुलना में 2017-18 में देश में रोजगार की प्रकृति में बड़ा बदलाव आया है।

सीईए ने कहा कि देश में सामान्य वेतनभोगी कर्मचारियों के अनुपात में पांच प्रतिशत की बढ़त हुई है, जबकि आकस्मिक कर्मचारियों की संख्या में उसी अनुपात में कमी आई है।

सीईए ने यह भी बताया कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पारिश्रमिक नौकरियों के अनुपात में बढ़त देखी गई है। यह बढ़त ग्रामीण क्षेत्रों में 3.3 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 1.4 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि कृषि में श्रमिकों के अनुपात में पांच प्रतिशत की कमी आई है। इसमें चार प्रतिशत सेवाओं में और एक प्रतिशत उद्योग में लिप्त हो गए हैं। साथ ही ग्रामीण कर्मचारियों द्वारा किए जाने वाले आकस्मिक श्रम में भी कमी आई है। ग्रामीण क्षेत्रों में आकस्मिक कार्यों से हटकर वेतनभोगी नौकरियों और स्वरोजगार की तरफ़ लोगों का झुकाव देखा गया है। और शहरी क्षेत्रों में यह झुकाव स्वरोजगार से वेतनभोगी नौकरियों की ओर बढ़ा है। स्वरोजगार के कारण लोगों की रुचि अवैतनिक परिवार के काम से हटकर आर्थिक लाभ वाले कार्यों में बढ़ी है।
उन्होंने कहा कि “श्रम कानूनों को मुख्यतः चार कानूनों में बांटा गया है।

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