जाति जनगणना पर चिराग पासवान का बड़ा बयान, NDA में मची सियासी खलबली


साधना

(ग्रेटर नोएडा) बिहार विधानसभा चुनाव से पहले लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने एक बड़ा सियासी दांव खेला है। उन्होंने जातिगत जनगणना का खुलकर समर्थन किया है, जिससे न केवल विपक्ष की मांग को बल मिला है, बल्कि NDA के भीतर भी राजनीतिक हलचल तेज हो गई है।

चिराग पासवान ने हाल ही में दिए गए अपने बयान में कहा कि जातिगत जनगणना समाज के वंचित वर्गों को उनका हक दिलाने की दिशा में एक अहम कदम है। उनका कहना है कि जब तक यह स्पष्ट नहीं होगा कि किस वर्ग की जनसंख्या कितनी है, तब तक सरकारी योजनाओं का समान और प्रभावी क्रियान्वयन संभव नहीं है।

दिलचस्प बात यह है कि चिराग वही नेता हैं जिन्होंने पहले जातीय राजनीति को “विकास में बाधा” बताया था। लेकिन अब वही चिराग न सिर्फ जातिगत जनगणना का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि उस वक्त कर रहे हैं जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं। राहुल गांधी ने हाल ही में कांग्रेस अधिवेशन में घोषणा की थी कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो वह जातिगत जनगणना जरूर कराएगी।

ऐसे में NDA का हिस्सा होते हुए भी चिराग का यह रुख राजनीतिक विश्लेषकों के लिए एक बड़ा संकेत माना जा रहा है। यह उनके भीतर पल रहे नए सियासी मंसूबों की झलक भी देता है।

इसके साथ ही चिराग पासवान ने ‘MY समीकरण’ (जो पारंपरिक रूप से मुस्लिम-यादव वोट बैंक को दर्शाता है) को भी नए रूप में परिभाषित किया है। उन्होंने कहा, “अब MY का मतलब है—महादलित और युवा।” यह बयान बताता है कि चिराग अब एक नई सामाजिक समीकरण के सहारे अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश में हैं।

बिहार में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं। ऐसे में चिराग का यह स्टैंड महज एक संयोग नहीं, बल्कि एक रणनीतिक पहल प्रतीत होता है। इससे साफ जाहिर है कि वे दलितों और युवाओं को केंद्र में रखकर एक नई राजनीतिक धारा गढ़ने का प्रयास कर रहे हैं—जो सामाजिक न्याय की बात करे और विकास का वादा भी निभाए।

राजनीति में इरादे अक्सर बयानों की परतों में छिपे होते हैं, और चिराग पासवान के ताज़ा बयान उनकी आगामी रणनीति की एक झलक साफ तौर पर पेश करते हैं।

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