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दिल्ली हाई कोर्ट ने डीपीएस स्कूल को लगाई फटकार, फीस बढ़ोतरी पर छात्रों से की गई सख्ती को बताया गलत

राधा मंडल

(ग्रेटर नोएडा)

दिल्ली के प्रतिष्ठित स्कूलों में से एक दिल्ली पब्लिक स्कूल (द्वारका) एक बार फिर विवादों में घिर गया है। बुधवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने स्कूल प्रशासन को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि फीस संबंधित मामलों में छात्रों को प्रताड़ित करना न केवल अमानवीय है, बल्कि कानून का उल्लंघन भी है। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि फीस विवादों का निपटारा केवल वैधानिक और विधिक माध्यमों से ही किया जाए, न कि छात्रों पर दबाव डालकर।

मामला तब सामने आया जब कई अभिभावकों ने शिकायत की कि स्कूल ने समय पर बढ़ी हुई फीस जमा न करने वाले छात्रों को क्लास में बैठने से रोक दिया। इतना ही नहीं, आरोप यह भी लगे कि कुछ छात्रों को लाइब्रेरी में बंद कर दिया गया और कुछ को स्कूल परिसर में प्रवेश से भी रोक दिया गया। ये घटनाएं 20 मार्च 2025 से शुरू हुई थीं।

इस पर सख्त रुख अपनाते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि स्कूल किसी भी स्थिति में छात्रों को सजा नहीं दे सकता। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएं दोहराई गईं, तो स्कूल प्रशासन के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

अभिभावकों की शिकायतों के आधार पर शिक्षा निदेशालय और वरिष्ठ शिक्षाविदों की संयुक्त टीम ने मामले की जांच की। जांच रिपोर्ट में स्कूल प्रशासन की लापरवाही और छात्रों के प्रति कठोर व्यवहार की पुष्टि हुई है। जांच में यह भी सामने आया कि स्कूल ने दिल्ली सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन किया है।

दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने एक बयान जारी कर बताया कि उन्हें राजधानी के कई स्कूलों से फीस बढ़ोतरी, नियमों के उल्लंघन और मनमानी शिकायतें मिल रही हैं। सरकार ने 16 अप्रैल 2025 तक 600 से अधिक मान्यता प्राप्त गैर-अनुदानित स्कूलों का निरीक्षण किया है। जिन स्कूलों ने नियमों का पालन नहीं किया है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी स्कूल छात्रों को मानसिक, शारीरिक या शैक्षणिक रूप से प्रताड़ित नहीं कर सकता। फीस बढ़ोतरी का विषय प्रबंधन और अभिभावकों के बीच चर्चा का हो सकता है, लेकिन छात्रों को इसके लिए दंडित करना पूरी तरह गलत है।

अगली सुनवाई और निर्देश

कोर्ट ने स्कूल को 5 मई 2025 तक अगली सुनवाई की तारीख तय करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि तब तक छात्रों के खिलाफ कोई भी अनुचित कार्रवाई नहीं की जाए। इसके अलावा, शिक्षा निदेशालय को नियमित निरीक्षण कर नियमों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है।

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