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85 वर्षीय बुजुर्ग की कमाई बंद हुई तो बेटों के लिए बोझ बन गया बाप, बेटी ने भी दी नसीहत

बेघर पिता

बेघर पिता

राजतिलक शर्मा। अक्सर कहा जाता है कि औलादे बुढ़ापे का सहारा होती हैं और उनमें क्या बेटा और क्या बेटी। लेकिन लखनऊ के पुराना टिकैतगंज के रहने वाले 85 वर्षीय बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद की डबडबाई आंखों में बेटों की बैवफाई और बेटी की नसीहत साफ देखी जा सकती है। बूढ़े बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद ने भीगी आंखों और फूट-फूट कर रोते हुए बताया कि कमाई बंद हुई तो बेटों के लिए मैं बोझ बन गया। बड़ा लड़का तो कई मार मार भी चुका है और गालियां तो प्रसाद की तरह मिलती हैं। अब चार दिन की जिंदगी है वृद्धाश्रम में काट लूंगा यहां सिर पर छत और इज्जत के साथ दो वक्त का निवाला तो मिलेगा लेकिन अब इन लोगों के साथ नहीं रहूंगा।

यह मामला है लखनऊ का है जहां पर पिछले तीन दिन से एक बुजुर्ग को घर भेजने के लिए कांउंसिलिंग चल रही थी लेकिने 85 साल के रामेश्वर प्रसाद ने घर जान से मना कर दिया साथ ही कहा कि वह बेटों की हरकतों से परेशान हो चुके है अक्सर बेटे मेरी पिटाई करते हैं और गालियां देते हैं। इसी के साथ ही वृद्ध ने अपने बेटों की तरफ देखने से इंकार कर दिया। इसके बाद बाजारखाला पुलिस ने बुजुर्ग रामेश्वर प्रसाद की तहरीर पर दोनों बेटों विजय व बृजेश के खिलाफ मारने-पीटने व प्रताड़ित करने का मुकदमा दर्ज कर लिया।

रामेश्वर प्रसाद ने पत्र लिखकर बताया कि बड़े बेटे ने मारपीट कर घर से निकाल दिया। बीमार प्रसाद यूरिन का बैग पकड़े सड़क पर पड़े रहे लेकिन बेटे को दया नहीं आई। किसी तरह वन स्टॉफ की टीम ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया वहां से डिस्चार्ज होने के बाद बेटी के घर पहुंचे तो बेटी ने नसीहत देते हुए अपने घर में पनाह देने से इंकार कर दिया। इसके बाद 181 वन स्टॉप सेंटर प्रभारी अर्चना सिंह ने बताया कि जिला समाज कल्याण अधिकारी सुनीता सिंह ने तुरंत बुजुर्ग को आश्रय दिलवाया। डीपीओ विकास सिंह के निर्देश पर सीनियर सिटीजन एक्ट के तहत बेटों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।

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