लवी फंसवाल। जी-20 सम्मिट से पहले ही देश के नाम को लेकर राजनीति में भूचाल आया हुआ है। इसकी शुरूआत जी-20 सम्मिट के लिये विदेशों में गये निमंत्रण पत्रों से हुई है। जिसमें ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया की जगह’, ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिखा था। यह निमंत्रण पत्र भारत में होने जा रहे जी-20 सम्मिट में आने वाले विदेशा मेंहमानों और देश के कुछ नेताओं को भेजे गये हैं। इन निमंत्रण पत्रों के सामने आने के बाद ही विपक्ष हमलावर हो गया है। इंडिया गठबंधन के नेताओं का दावा है कि बीजेपी इस गठबंधन से डर रही है, इसलिये ऐसे कदम उठा रही है।

इधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि आज उन्होंने INDIA का नाम बदल दिया है। जी-20 शिखर के रात्रिभोज में इंडिया का जगह भारत का उल्लेख किया है। अंग्रेजी में हम इंडिया और ‘इंडिया कंस्टिटूशन’ कहते हैं तो वहीं हिंदी में भारत और ‘भारतीय संविधान’ कहते हैं। इसमें नया क्या है? लेकिन इंडिया नाम को दुनिया जानती है, फिर ऐसा क्या हुआ जो इसको बदलना पड़ा।

तो दुसरी तरफ तमिलनाडू के सीएम और डिएमके अध्यक्ष एमके स्टालिन ने कहा कि फासीवादी बीजेपी के शासन को उखाड़ फेंकने के लिये विपक्ष ने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ दिया। लेकिन अब बीजेपी ‘इंडिया’ को ‘भारत’ में बदलना चाहती है। उन्होंने कहा बीजेपी ने भारत में बदलाव का वादा किया था, लेकिन 9 साल बाद बदला क्या केवल नाम। वहीं कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने भी निशाना साधते हुये कहा कि, ‘हिंदू नाम भी विदेशों ने दिया है। मुझे लगता है कि पीएम मोदी खुद इंडिया नाम से डरते हैं। जिस दिन से विपक्ष ने इंडिया नाम का गठबंधन बनाया है, उसी दिन से पीएम की इंडिया के प्रति नफरत बढ़ गयी है। अगर वह अंग्रेजों के इतने खिलाफ हैं तो राष्ट्रपति भवन, जो कि वायसराय का घर था, उसका त्याग कर देना चाहिये’।

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